पलामू डेस्क : दुर्गा पूजा पंडालो में स्थापित मूर्तियों के विसर्जन हेतु अब दिशा-निर्देशों को विकसित करने की आवश्यकता महसूस की गई है। इसके मद्देनजर इस वर्ष एनजीटी एवं झारखण्ड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार पलामू जिला अंतर्गत से सभी दुर्गा पूजा समितियों के सहयोग से सभी मूर्तियों का विसर्जन तालाब, नदी आदि में न करके, कृत्रिम जल कुंड यानी ग्रीन जोन में विसर्जन करने हेतु प्रेरित किया जाएगा।
प्लास्टर ऑफ पेरिस से बन रही मूर्तियों के विसर्जन से पानी होता है विषाक्त : उपायुक्त
इस संबंध में पलामू उपायुक्त शशि रंजन ने कहा कि परंपरा के अनुसार मूर्ति चिकनी मिट्टी से बनायी जाती है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनाई जा रही है। प्लास्टर ऑफ पेरिस में कई हानिकारक रसायन शामिल होते हैं। इन मूर्तियों को सजाने के लिए प्लास्टिक एवं थर्माकॉल से बनी सामग्री का प्रयोग किया जाता है। ऐसे पदार्थ जैव अपघटनीय नही होते हैं। इन मूर्तियों को जब जल में विसर्जन किया जाता है तो यह विषाक्त हो जाता है।
प्रेरित करने के लिए “आस्था से स्वच्छता” प्रतियोगिता का आयोजन
उपायुक्त ने बताया कि लोगों में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से “आस्था से स्वच्छता” प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है। हमारा प्रयास है की लोग जागरूक हो, जिससे हमारे तालाब, नदी के पानी विषाक्त न हो। जिला प्रशासन पलामू द्वारा ऐसे निर्देशों का पालन करने वाले पर्यावरण सरंक्षण में सहयोग करने वाले पूजा समिति जिला स्तर पर आयोजित होने वाले “आस्था से स्वच्छता” प्रतियोगिता में भाग ले सकेंगे। “आस्था से स्वच्छता” प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार के रूप में 50000 रुपए, द्वितीय पुरस्कार के रूप में 25000 रुपए और तृतीय पुरस्कार के रूप में 10000 रुपए की राशि प्रदान की जाएगी।
क्या है ग्रीन जोन में विसर्जन के दिशा-निर्देश
प्रशासन द्वारा तैयार किये गए कृत्रिम कुंड में पृथक्करण करते हुए मूर्ति एवं पूजा सामग्री का विसर्जन करना है। रुटलाइन का अनुपालन करते हुए कतारबद्ध तरीके से मूर्ति विसर्जन करना है। बायोडिग्रेडेबल सामग्री का पृथक्करण करते हुए विसर्जन करें और प्लास्टिक वेस्ट का पृथक्करण एवं सुरक्षित निस्तारण करना है। पूजा पंडालों में कम से कम दो डस्टबिन का प्रयोग करें और विसर्जन के दौरान रासायनिक रंग का प्रयोग नही करना है।
Author: Shahid Alam
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