आज़ाद दर्पण डेस्क : देश में ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ को लेकर बुधवार (25 अक्टूबर) को पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंंद की अध्यक्षता में समिति की दूसरी बैठक हुई। इसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, पूर्व सॉलिसिटर जनरल हरीश साल्वे, जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम गुलाम नबी आजाद के अलावा विधि आयोग के चेयरमैन ऋतु राज अवस्थी मौजूद रहे। इस दौरान लॉ कमीशन की ओर से एक पूरा रोडमैप पेश किया गया। सूत्रों ने बताया कि बैठक में लॉ कमीशन ने जानकारी दी है कि वन नेशन, वन इलेक्शन को अगर देश में लागू करना है तो उसके लिए कानून और संविधान में क्या संशोधन करने पड़ेंगे।
2024 के चुनाव में संभव नहीं है
समिति ने अपनी दूसरी बैठक में इस बार लॉ कमीशन के चेयरमैन को भी शामिल होने के लिए आमंत्रित किया था। समिति जानना चाहती है कि देश में एक साथ चुनाव किस तरह से करवाए जा सकते हैं। इसलिए विधि आयोग के सुझाव और विचार जानने के लिए बुलाया गया था। सूत्रों के मुताबिक, कमीशन ने कमेटी को बताया कि फिलहाल 2024 के चुनाव में वन नेशन वन इलेक्शन को लागू करना मुमकिन नहीं है, लेकिन 2029 में इसको लागू किया जा सकता है. उससे पहले संविधान में संशोधन करना होगा।
पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द की अध्यक्षता में गठित की थी कमेटी
केंद्र सरकार की ओर से 02 सितंबर को ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ पर किस तरह से काम किया जाए, इसको लेकर आठ सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया था। कमेटी का अध्यक्ष पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द को नियुक्त किया गया था। वहीं कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में शामिल किया गया।
इसके अलावा कमेटी में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी, राज्यसभा के पूर्व नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद, वित्त कमीशन के पूर्व चेयरमैन एनके सिंह, लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष सी कश्यप, पूर्व सॉलिसिटर जनरल हरीश साल्वे और पूर्व सीवीसी संजय कोठारी सदस्य के रूप में नियुक्त किये गए थे। हालांकि इसके बाद अधीर रंजन चौधरी ने कहा था कि वो कमेटी में शामिल नहीं होंगे।