शाहिद आलम, झारखंड डेस्क : लोकसभा चुनाव-2024 में अब कुछ ही महीने का वक्त बाकी है। लोकसभा चुनाव को लेकर देशभर की सभी पार्टियां चुनाव में जीत की तैयारियों में जुट गई हैं। झारखंड के 14 लोकसभा क्षेत्रों में कांग्रेस, भाजपा, झामुमो, राजद व अन्य सभी क्षेत्रीय दल अपने-अपने कार्यकर्ताओं की सुध लेने में जुटी है। लगातार सभी पार्टियों द्वारा प्रखंड व बूथ स्तर पर समितियों को का गठन व मजबूती देने का काम लगातार जारी है। इन सब तैयारियों के बीच आज हम बात करने वाले हैं झारखंड की राजनीतिक राजधानी माने जाने वाले पलामू लोकसभा क्षेत्र की। आज हम एक विश्लेषण करने की कोशिश करेंगे किपलामू लोकसभा सीट पर पूर्व में I.N.D.I.A गठबंधन के दलों का क्या हाल रहा है, विगत गठबंधन के दौरान किस पार्टी के खाते ये सीट गई है, अभी यहां कौन-कौन दल दावा कर रहे हैं, और आम चुनाव-2024 को लेकर I.N.D.I.A गठबंधन के सीट बंटवारे में इस सीट पर किसका दावा सबसे मजबूत है।
बात पलामू लोकसभा क्षेत्र की
बात करते हैं झारखंड की राजनीतिक राजधानी मानी जाने वाली पलामू लोकसभा क्षेत्र की तो इस लोकसभा क्षेत्र में कुल छ: विधानसभा आते हैं। डालटनगंज सदर, छत्तरपुर, विश्रामपुर, हुसैनाबाद, गढ़वा और भवनाथपुर। यह सीट अनुसूचित जाति के उम्मीदवार के लिए आरक्षित है। चूंकि वर्तमान में I.N.D.I.A गठबंधन में कांग्रेस, राजद के साथ साथ झामुमो भी शामिल है। ऐसे में यहां I.N.D.I.A गठबंधन के बीच सीटों के बंटवारे का मुकाबला दिलचस्प हो जाता है। ये ऐसी लोकसभा सीट है, जहां तीनों पार्टियों ने कभी न कभी जीत दर्ज की है। कांग्रेस इस सीट से छह बार जीती है, वहीं राष्ट्रीय जनता दल ने यहां से अपने उम्मीदवारों को दो बार जिताया है। जबकि झामुमो ने भी यहां एक बार जीत का स्वाद चखा है।
1984 के बाद नहीं जीती कांग्रेस, I.N.D.I.A गठबंधन के झामुमो को मिली है आखिरी जीत
आम चुनाव व उपचुनाव की बात करें तो यहां कूल 18 बार लोकसभा चुनाव कराया गया है। इन चुनावों में I.N.D.I.A गठबंधन के पार्टियों की बात करें तो छ: बार कांग्रेस, दो बार राष्ट्रीय जनता दल व एक बार झारखंड मुक्ति मोर्चा को जीत मिली है। वैसे कांग्रेस को इस सीट से अपनी आखिरी जीत 1984 में मिली थी, जब पार्टी की उम्मीदवार कमला कुमारी चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंची थी। वहीं राजद को इस सीट पर पहली जीत 2004 के आम चुनाव में मिली थी। तब पार्टी के उम्मीदवार मनोज कुमार यहां से जीते थे। उनके अयोग्य घोषित होने और संसद सदस्यता जाने के बाद 2006 के उपचुनाव में भी राजद ने यहां फिर से जीत दर्ज की और यहां से पार्टी के उम्मीदवार घुरन राम लोकसभा पहुंचे थे। लेकिन सबसे दिलचस्प बात ये है कि इस सीट पर गठबंधन की पार्टियों में से आखिरी जीत झामुमो को मिली है। 2009 के आम चुनाव में झामुमो उम्मीदवार कामेश्वर बैठा ने राजद के ही उम्मीदवार को यहां से हराया था।
पिछले दो बार से राजद के खाते में गई है ये सीट
पलामू लोकसभा सीट पर वैसे तो कांग्रेस और राजद दोनों ही दावा कर रही है। लेकिन सीटों के बंटवारे को देखें तो पिछले दो आम चुनाव में ये सीट राजद के खाते में गई है। हालांकि दोनों बार राजद को हार का ही सामना करना पड़ा है। 2014 के आम चुनाव में राजद के उम्मीदवार मनोज कुमार भाजपा के बीडी राम से 2,63,942 वोट से चुनाव हार गए थे। जबकि 2019 के आम चुनाव में राजद को और भी करारी हार का सामना करना पड़ा और पार्टी के उम्मीदवार घूरन राम भाजपा के बीडी राम से 4,77,606 वोट से चुनाव हार गए।
कांग्रेस व राजद कांग्रेस, दोनों के हैं अपने-अपने दावे
पलामू लोकसभा सीट पर I.N.D.I.A गठबंधन के कांग्रेस व राजद दोनों पार्टियां दावा कर रही हैं। दोनों पार्टियों के स्थानीय नेताओं के द्वारा लगातार चुनाव लड़ने की बात कही जा रही है। इसी संदर्भ में कांग्रेस जिलाध्यक्ष जैश रंजन पाठक उर्फ बिट्टू पाठक ने कहा कि वर्तमान में पलामू लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस पार्टी सांगठनिक तौर पर सबसे मजबूत है। ज़मीनी स्तर पर हमारे कार्यकर्ता लगातार मेहनत कर रहे हैं। ऐसे में यहां पर कांग्रेस पार्टी को ही चुनाव लड़ना चाहिए ताकि ये सीट जीतकर I.N.D.I.A गठबंधन के खाते में जा सके। साथ ही उन्होंने कहा कि इस मसले पर अंतिम फ़ैसला आलाकमान का होगा। I.N.D.I.A गठबंधन के तहत आलाकमान जिस भी उम्मीदवार को यहां से चुनाव लड़वाएगी, उसकी जीत सुनिश्चित होगी। इधर राजद के जिलाध्यक्ष मोहन विश्वकर्मा ने कहा है कि सांगठनिक तौर पर हम पहले से मजबूत रहे हैं और अभी भी काफी मजबूत हैं। हमारी पार्टी यहां से चुनाव लड़ती रही है। ऐसे में हमारा दावा यहां सबसे ज्यादा मजबूत है। लेकिन इसका फैसला हम नहीं कर सकते। इसके लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष व पार्टी के वरिष्ठ नेता निर्णय लेंगे।
Author: Shahid Alam
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