Home » झारखंड » राँची » आजादी के साढ़े सात दशक बाद भी अपेक्षित विकास से कोसों दूर भारतीय कृषि क्षेत्र

आजादी के साढ़े सात दशक बाद भी अपेक्षित विकास से कोसों दूर भारतीय कृषि क्षेत्र

जलेश शर्मा, नीलांबर-पितांबरपुर : भारत की स्वतंत्रता को साढ़े सात दशक से अधिक का समय बीत चुका है। 1947 से अबतक देश ने आधारभूत संरचना, उद्योग, शिक्षा, स्वास्थ्य, संचार, अंतरिक्ष विज्ञान समेत सभी क्षेत्रों में अपेक्षित विकास किया है। आज भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम विश्व के सफलतम अंतरिक्ष कार्यक्रमों में शामिल है। भारतीय सेना विश्व की सबसे ताकतवर सेनाओं में सम्मिलित है तथा भारत की अर्थव्यवस्था विश्व की पांच सबसे मजबूत अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। अन्य क्षेत्रों में भी भारत नियमित रूप से विकास की नई गाथा लिख रहा है।

तमाम दावों के बावजूद कृषि क्षेत्र विकास के मामले में अब भी है काफी पीछे

लेकिन इन उपलब्धियों के बावजूद एक ऐसा क्षेत्र भी है जो आज भी विकास की दौड़ में कहीं पीछे रह गया है। खाद्य सुरक्षा, ग्रामीण रोजगार जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला कृषि क्षेत्र आज भी उस स्थिति में नहीं पहुंच पाया है, जिसे संतोषजनक माना जा सके। इसका परिणाम यह हुआ है कि कृषि पर निर्भर देश के करोड़ों लोग आज भी बेहद अभावों में जीवन जीने को विवश हैं और कई बार ये कृषि के माध्यम से अपनी बुनियादी जरूरतें भी नहीं पूरी कर पाते हैं। कृषि क्षेत्र में अपेक्षित विकास नहीं होने के कारण आज देश का युवा वर्ग इस क्षेत्र से दूर हो रहा है। आज के युवा वर्ग को इस क्षेत्र में रोजगार और विकास की अपेक्षित संभावना दिखाई नहीं देती है। वैसे तो भारतीय कृषि के अपेक्षित विकास नहीं होने के कई कारण हैं। लेकिन आज हम आपके बीच पांच प्रमुख कारणों को रखने जा रहे हैं, जो भारतीय कृषि के समुचित विकास में बाधा बने रहे हैं।

किसानों के समक्ष पूंजी का अभाव 

देश के अधिकतम किसानों के पास कृषि में निवेश के लिये पूंजी का अभाव है। आज भी देश के ज्यादातर किसानों को व्यावहारिक रूप में संस्थागत ऋण सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पाता। कई बार किसानों के पास इतनी भी पूंजी नहीं होती कि वे बीज, खाद, सिंचाई जैसी बुनियादी चीजों का भी प्रबंध कर सकें। इसका परिणाम यह होता है कि किसान समय से फसलों का उत्पादन नहीं कर पाते अथवा अपर्याप्त पोषक तत्वों के कारण फसलें पर्याप्त गुणवत्ता की नहीं हो पाती हैं। इसके साथ ही पूंजी के अभाव में किसान को आज भी महाजनी प्रथा का शिकार होना पड़ता है। उन्हें ऊंचे ब्याज दर पर ऋण लेना पड़ता है। ऐसे में उनकी समस्याएं कम होने के बजाय बढ़ जाती हैं। 

सिचाई सुविधा की घोर कमी 

भारत के अधिकांश हिस्सों में आज भी सिंचाई सुविधाओं की कमी है। देश के अधिकांश हिस्सों में किसान प्राकृतिक वर्षा या फिर कहें मॉनसून पर निर्भर होकर जोखिम वाली खेती करते हैं। ऐसे में अल्पवर्षा या फिर अतिवर्षा का खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ता है। कई बार किसान सुखाड़, अकाल या फिर बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा से दो-चार होते हैं। ऐसे में किसान की तरक्की तो दूर, उनके समक्ष जीविकोपार्जन की भी समस्या उत्पन्न हो जाती है। वहीं कृत्रिम सिचाई की व्यवस्था वही किसान ही कर पाते हैं जो पूंजी लगाने में सक्षम होते हैं।

कृषि योग्य भूमि का लगातार कम होना

भारतीय किसानों की एक बड़ी आबादी के पास बहुत कम मात्रा में कृषि योग्य भूमि उपलब्ध है। इसका एक बड़ा कारण बढ़ती हुई जनसंख्या भी है। इसके परिणामस्वरूप कृषि किसानों के लिये लाभ कमाने का माध्यम न होकर महज निर्वाह करने का माध्यम बन गई है, जिसमें वे किसी तरह अपना और अपने परिवार का निर्वाह कर पाते हैं। इसके साथ-साथ कृषि योग्य भूमि का अनियमित आबंटन भी इसका एक कारण है। किसी के पास सैंकड़ों एकड़ भूमि है, जो परती रह जाता है तो कोई किसान भूमिहीन है। भारतीय कृषि क्षेत्र प्रछन्न बेरोजगारी की भी समस्या से जूझने वाला क्षेत्र है।

एमएसपी का नहीं मिलना 

चूंकि किसानों के पास पूंजी का अभाव है। ऐसे में वे फसल की बुवाई करते समय कर्ज लेते हैं। फैसल तैयार होते ही देनदार किसानों से कर्ज के पैसे के लिए उगाही शुरू कर देते हैं। ऐसे में किसान जल्दीबाजी में खेतों में से ही न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम कीमत में अपनी फसल को बेच देते हैं। ऐसे में कृषि उनके जीविकोपार्जन का साधन मात्र रह जाता है।

कृषि क्षेत्र में आधुनिकता की कमी 

कृषि क्षेत्र में विदेशों में आधुनिक उपकरणों और तकनीकों का प्रयोग किया जा रहा है। हमारे देश में भी कुछ सम्पन्न किसान कृषि में आधुनिकता का उपयोग कर रहे हैं। लेकिन ये आधुनिकता अर्थात अत्याधुनिक कृषि उपकरण, बेहतर तकनीक, सुगम परिवहन, बेहतर भंडारण देश के आम किसानों से कोसों दूर है। इस बात का खामियाजा भी देश के आम किसान भुगत रहे हैं।

पांच कमियों को दूर कर कृषि क्षेत्र में फूंकी जा सकती है नई जान 

ऐसा नहीं है कि इस कमियों को दूर नहीं किया जा सकता। इन कमियों को दूर करने के लिए सरकारों को दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ एक मास्टर प्लान तैयार कर उसे धरातल पर उतारना होगा। सरकार को एक लक्ष्य तय कर कर पूंजी, सिंचाई, आधुनिकता व अन्य सुविधाओं को आम किसानों तक पहुंचाना होगा। तब कही जाकर कृषि क्षेत्र को भी हम आसमान की ऊंचाईयों पर देख सकेंगे।

Shahid Alam
Author: Shahid Alam

Editor

0
0

RELATED LATEST NEWS

Top Headlines

पांकी में तरावीह की नमाज मुकम्मल, जश्ने मिलाद में बताया गया रमजान व कुरआन की फ़ज़ीलत

पलामू डेस्क : पांकी प्रखंड मुख्यालय के मस्जिद चौक स्थित अहले सुन्नत जामा मस्जिद में तरावीह की नमाज मुकम्मल हुई।

error: Content is protected !!