आजाद दर्पण डेस्क : चर्चित बिलकिस बानो मामले की सुनवाई सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में हुई। इस मामले की सुनवाई के बाद आज कोर्ट ने अपना फैसला दिया है। बड़ी खबर ये है कि अपने फैसले में जजों की बेंच ने गुजरात सरकार के फैसले को पलट दिया है। कोर्ट ने बिलकिस बानो मामले में दोषियों की सजा में मिली छूट को रद्द कर दिया है। फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि महिला सम्मान की हकदार है। राज्य इस तरह का फैसला लेने के लिए सक्षम नहीं है। कोर्ट ने इसे ‘धोखाधड़ी वाला कृत्य’ करार दिया है। बेंच के जस्टिस बीवी नागरत्ना ने टिप्पणी करते हुए कहा कि भविष्य में अपराध रोकने के लिए सजा दी जाती है। हालांकि अपराधी को सुधारने का मौका भी दिया जाता है। लेकिन इसमें भी पीड़ित की तकलीफ का एहसास होना चाहिए।
जानें, क्या फैसला दिया है सुप्रीम कोर्ट ने
सुप्रीम कोर्ट में के दो जजों की बेंच ने बिलकिस बानो मामले में दोषियों को छूट देने के गुजरात सरकार के फैसले को रद्द कर दिया है। जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्जल भुईयां की पीठ ने पिछले वर्ष 12 अक्टूबर को मामले की 11 दिनों तक विस्तृत शुरुआत सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। सोमवार को बेंच ने फैसला सुनाया है।
क्या कहा सुनवाई करनेवाली जजों की बेंच ने
बिलकिस बानो केस में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि दोषियों की सजा माफी का आदेश पारित करने के लिए गुजरात राज्य सरकार सक्षम नहीं है। उन्होंने इसके पीछे कारण बताया कि जहां अपराधी पर मुकदमा चलाया जाता है और जिस राज्य में सजा सुनाई जाती है, उसी राज्य को दोषियों के माफी याचिका पर निर्णय लेने का अधिकार होता है। चूंकि इस मामले में सुनवाई व दोषियों को सजा महाराष्ट्र में हुई थी। ऐसे में यह निर्णय लेने के लिए गुजरात राज्य नहीं बल्कि महाराष्ट्र सरकार सक्षम है। साथ ही जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि 13 मई 2022 को जिस आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को रिहाई पर विचार करने के लिए कहा था, वह तथ्यों को छुपाकर हासिल किया गया था
सभी 11 दोषियों को फिर जाना होगा जेल, दो सप्ताह में करना होगा सरेंडर
उल्लेखनीय है कि गुजरात सरकार ने बिलकिस बानो मामले के सभी 11 दोषियों जसवंत नाई, गोविंद नाई, शैलेश भट्ट, राध्येशम शाह, बिपिन चंद्र जोशी, केसरभाई वोहनिया, प्रदीप मोर्दहिया, बकाभाई वोहनिया, राजूभाई सोनी, मितेश भट्ट और रमेश चंदना को जेल में 15 साल गुजारने के साथ-साथ कैद के दौरान उनकी उम्र और व्यवहार को ध्यान में रखते हुए 15 अगस्त, 2022 को रिहा कर दिया गया था। आरोपियों को मिली छूट के बाद बिलकिस बानो सहित कई लोगों ने सजा में छूट को चुनौती देते हुए याचिकाएं दायर की थी। इस मामले में याचिकाकर्ता में तृणमूल कांग्रेस नेता महुआ मोइत्रा, सीपीआई (एम) की सुभाषिनी अली भी शामिल थी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सभी 11 दोषियों को एक बार फिर जेल जाना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने सभी 11 दोषियों को सरेंडर करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है।
Author: Shahid Alam
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