जलेश शर्मा, नीलांबर-पितांबरपुर/आजाद दर्पण टीम : जिले के नीलांबर-पितांबरपुर सीओ सह प्रभारी सीडीपीओ विवादों के घेरे में है। मामला और आरोप दोनों ही गंभीर हैं। प्रखंड के सीओ सह प्रभारी सीडीपीओ आशीष कुमार साहू व उनके अधीनस्थ कार्यरत महिला पर्यवेक्षिका पर आंगनबाड़ी सेविका के रूप में चयनित होकर औपबंधिक प्रमाणपत्र प्राप्त करने वाली एक उम्मीदवार ने सीधे तौर पर रिश्वत मांगने तथा रिश्वत नहीं देने पर चयन रद्द कर देने का आरोप लगाया है। चयन संबंधित औपबंधिक प्रमाणपत्र (प्रोविजनल सर्टिफिकेट) प्राप्त करनेवाली भुक्तभोगी महिला ने इस संबंध में जिले के उप विकास आयुक्त और जिला समाज कल्याण पदाधिकारी को लिखित आवेदन देकर पूरे मामले की विस्तृत जानकारी दी है और कार्रवाई की गुहार लगाई है।
आइए जानते हैं, क्या है पूरा मामला
पूरा मामला पलामू जिले के नीलांबर-पितांबरपूर प्रखंड के कमलकेड़ीया का है। उपायुक्त के निर्देश के आलोक में विगत 25 नवंबर 2023 को आंगनबाड़ी केंद्र संख्या-416 के लिए सेविका के चयन हेतु सीओ सह प्रभारी सीडीपीओ आशीष कुमार साहू की अध्यक्षता में पोषक क्षेत्र के ग्रामीणों की बैठक हुई थी। उक्त बैठक में सीओ सह प्रभारी सीडीपीओ के साथ-साथ महिला पर्यवेक्षिका अपर्णा मिश्रा, पोषक क्षेत्र लोटवा व कमलकेड़ीया गांव के संबंधित पंचायत के मुखिया, प्रधानाध्यापक तथा पोषक क्षेत्र के दर्जनों ग्रामीण उपस्थित थे। बैठक के दौरान सेविका के रूप में चयन की इच्छा रखने वाले उम्मीदवारों ने अपना आवेदन व शैक्षणिक प्रमाणपत्र प्रभारी सीडीपीओ के समक्ष प्रस्तुत किया। उम्मीदवारों के अंकों की विस्तृत रूप से तुलनात्मक गणना के बाद सीओ सह प्रभारी सीडीपीओ ने उम्मीदवार सुगंधा उपाध्याय को अंकों के अनुसार वरीय बताते हुए उसे चयन की पुष्टि के लिए चयन संबंधित औपबंधिक प्रमाणपत्र (प्रोविजनल सर्टिफिकेट) दे दिया। यहां तक तो सब कुछ ठीक-ठाक था। लेकिन अब सारा विवाद यहां के बाद शुरू हुआ। बाद में उस औपबंधिक प्रमाण पत्र को सीओ सह प्रभारी सीडीपीओ के द्वारा रद्द कर दिया गया और रद्द करने का कारण अंकों की गलत गणना बताई गई। औपबंधिक प्रमाणपत्र (प्रोविजनल सर्टिफिकेट) रद्द होने के बाद सीओ सह प्रभारी सीडीपीओ व महिला पर्यवेक्षिका पर रिश्वत के रूप में पैसे मांगने का आरोप लगा है।
सीओ व सीडीपीओ सह सीडीपीओ व महिला पर्यवेक्षिका ने मांगे दो लाख रुपये की रिश्वत : सुगंधा उपाध्याय
इधर उक्त बैठक में औपबंधिक प्रमाणपत्र (प्रोविजनल सर्टिफिकेट) प्राप्त करनेवाली उम्मीदवार सुगंधा उपाध्याय ने औपबंधिक प्रमाणपत्र रद्द होने के बाद सीओ सह सीडीपीओ प्रभारी आशीष कुमार साहू व महिला पर्यवेक्षिका अपर्णा मिश्रा पर रिश्वत मांगने और रिश्वत नहीं देने पर चयन तथा औपबंधिक प्रमाणपत्र रद्द करने का आरोप लगाया है। इस संबंध में उन्होंने पलामू के उप विकास आयुक्त व जिला समाज कल्याण पदाधिकारी की लिखित आवेदन देकर जांच कर कारवाई करने व चयन को पुनः बहाल करते हुए सेविका के रूप में योगदान करवाने की मांग की है। वरीय अधिकारियों को दिये आवेदन में उन्होंने बताया कि विगत् 25 नवंबर 2023 को बैठक के दौरान अंकों की गणना के बाद वरीयता के आधार पर मुझे औपबंधिक प्रमाणपत्र (प्रोविजनल सर्टिफिकेट) सीओ सह प्रभारी सीडीपीओ द्वारा दिया गया था। उसी दिन सीओ सह प्रभारी सीडीपीओ व महिला पर्यवेक्षिका मेरे घर पहुंचे और मुझे व मेरे पति अशोक कुमार उपाध्याय से औपबंधिक प्रमाणपत्र (प्रोविजनल सर्टिफिकेट) वापस मांगने लगे। जब हमने प्रमाणपत्र देने से इनकार कर दिया तो दोनों ने मुझे और मेरे पति को एक तरफ अकेले में ले जाकर दो लाख रुपये रिश्वत के रूप में मांगा और धमकी दिया कि अगर पैसे नहीं दिए तो चयन और औपबंधिक प्रमाणपत्र को रद्द कर दिया जाएगा। जब मैंने पैसे नहीं दिए तो औपबंधिक प्रमाणपत्र की ऑफिस कॉपी को सीओ सह प्रभारी सीडीपीओ द्वारा रद्द कर दिया गया। सुगंधा उपाध्याय ने कहा है कि वरीय पदाधिकारियों को आवेदन देकर हमने निष्पक्ष जांच व कारवाई की मांग की है।
क्या कहना है महिला पर्यवेक्षिक का
इस संबंध में प्रखण्ड की महिला पर्यवेक्षिक अपर्णा मिश्रा ने कहा कि हमने कोई रिश्वत की मांग नहीं की है। अंकों की गणना गलत हो गई थी, जिसके कारण औपबंधिक प्रमाणपत्र (प्रोविजनल सर्टिफिकेट) की ऑफिस कॉपी को रद्द किया गया है।
क्या कहना है सीओ सह सीडीपीओ का
इस संबंध में जब आजाद दर्पण न्यूज की टीम ने नीलांबर-पितांबरपुर के सीओ सह प्रभारी सीडीपीओ आशीष कुमार साहू से उनका पक्ष जानने के लिए उनके मोबाईल नंबर पर फोन किया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया। हालांकि एक वीडियो में वे कहते हुए साफ सुने जा सकते हैं कि अंकों की गणना में अधिक मार्क्स दे दिया गया था।
बड़ा सवाल, आखिर के जिम्मेदार पद पर बैठे पदाधिकारी से कैसे हुई इतनी बड़ी गलती? क्या कारवाई होगी ?
इस मामले में सीओ सह प्रभारी सीडीपीओ की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में है। इस मामले में दो ही बातें हो सकती है, एक या तो सीओ सह सीडीपीओ से अंकों की गणना में वास्तव में गलती हुई या फिर चयनित उम्मीदवार का आरोप सही है। अगर सीओ का पक्ष सही है तो सबसे बाद सवाल है कि एक जिम्मेदार पद पर बैठे पदाधिकारी से इतनी बड़ी गलती हुई कैसे? एक अधिकारी की गलती के कारण पूरी चयन प्रक्रिया विवादों में घिर गई है। लेकिन अगर चयनित उम्मीदवार की बात सत्य है तो आंचलिक क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार का हम अंदाजा भर लगा सकते हैं। हालांकि ये तो जांच के बाद ही पता चल पाएगा कि सच कौन बोल रहा है, सीओ सह प्रभारी सीडीपीओ या चयनित महिला उम्मीदवार? लेकिन दोनों ही परिस्थितियों में अधिकारी की गलती तो है तो ये सवाल और भी बड़ा है कि क्या उनके विरुद्ध कारवाई होगी?
क्या कहना है जिला समाज कल्याण पदाधिकारी का
इस संबंध में आजाद दर्पण की टीम ने पलामू जिले के जिला समाज कल्याण पदाधिकारी नीता चौहान से बात की। उन्होंने बताया कि मामला उनकी जानकारी में है। वर्तमान में वे किसी निजी कार्यक्रम में हैं। ऑफिस पहुंच कर ही वे मामले में विस्तृत कुछ भी बता सकेंगी।
Author: Shahid Alam
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