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बटाने जलाशय योजना : 38 वर्ष बाद भी किसानों को अधिगृहित भूमि का नहीं मिला मुआवजा

गौरी शंकर सिंह, छत्तरपुर : बटाने जलाशय योजना के तहत 38 वर्ष पूर्व वर्ष 1983-84 में डैम के लिए एवं विस्थापितों के पुनर्वास हेतु पलामू जिले के नौडीहा बाजार प्रखंड के ग्राम नावाडीह, थाना नं-197 में किसानों की अर्जित रैयती मान्यता प्राप्त गैरमाजरुआ मालिक भूमि का मुआवजा भुगतान अबतक नहीं हो सका है, जिससे किसानों में घोर क्षोभ व्याप्त है। उनकी स्थिति भयावह व त्रासदी पूर्ण हो गई है। किसानों ने बताया कि मुआवजे के बाबत अनेकों बार संबंधित अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट कराने के प्रयास किया गया। परंतु कोई कार्रवाई नहीं हुई। यहां तक कि इसके लिए अभी तक अधिसूचना भी जारी नहीं हो सकी है। विदित है कि उक्त गैरमाजरुआ मालिक भूमि वर्ष 1946 के पहले भूतपूर्व जमींदार द्वारा बंदोबस्त की गई है एवं सरकारी सिरिस्ता में मांग भी चालू है। रैयतों को सरकारी रसीद वर्ष 1956 से हर साल निर्गत हो रही है। यह भूमि अदालती बंटवारा से रैयतों को प्राप्त है। भूमि पर शांतिपूर्ण ढंग से दखल-कब्जा है। हाल सर्वे में परचा भी मिला है। अर्जित किये इस रैयती मान्यता प्राप्त गैरमाजरुआ मालिक भूमि का मुआवजा भुगतान के लिए स्वामित्व प्रमाणपत्र भी अंचल कार्यालय से विभिन्न तिथियों पर अनुमंडल पदाधिकारी, अपर समाहर्ता व उपायुक्त के माध्यम से विशेष भू-अर्जन पदाधिकारी को प्रेषित है। इसी तरह 16 गांवों के करीब 700 एकड़ रैयती मान्यता प्राप्त गैरमाजरुआ मालिक भूमि का मुआवजा भुगतान 38 वर्षों से लंबित है। नावाडीह गांव में विस्थापितों के पुनर्वास के लिए वर्ष 1984-85 में अधिगृहित भूमि में 44 विस्थापितों को पर्चा मिला है। लेकिन उन्हें अब तक उन्हें भौतिक दखल-कब्जा नहीं दिलाया गया। सभी 44 विस्थापित गरीब हाथ में पर्चा लिए दर-दर भटक रहे हैं। वहीं मांडर गांव में 48 अनुसूचित जनजाति व दलित परिवारों को वन विभाग की भूमि में पुनर्वासित किया गया है। इस कारण इन परिवारों का आवासीय व जाति प्रमाण पत्र नहीं बन पा रहा है। ऐसे में ये परिवार सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के लाभ से वंचित हैं। विभागीय अधिकारियों के उदासीन रवैये से नाराज विस्थापितों ने बटाने डैम का गेट उठाकर जाम कर दिया है। इन समस्याओं के निदान के लिए कुछ वर्ष पूर्व में डैम स्थल पर आयोजित समीक्षा बैठक में औरंगाबाद सांसद सुशील कुमार सिंह, पलामू सांसद बीडी राम व छत्तरपुर विधायक राधाकृष्ण किशोर ने संबंधित अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिया था। परंतु संबंधित पदाधिकारियों की टालमटोल की नीति एवं लालफीताशाही के कारण विशेष भू-अर्जन कार्यालय की अगली कार्रवाई अब तक अवरुद्ध है। सांसद और विधायक भी विस्थापितों की इन समस्यायों से बेखबर हैं।

Shahid Alam
Author: Shahid Alam

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