आज़ाद दर्पण डेस्क : छत्तीसगढ़ में चुनावी शंखनाद हो चुका है। आगामी 07 और 17 नवंबर को राज्य भर में मतदाता नई सरकार को चुनने के लिए अपने मतों का प्रयोग करेंगे। चुनावी शंखनाद के साथ ही कांग्रेस, भाजपा समेत सभी दल चुनावी जीत के लिए रणनीति बनाने में जुटे हैं। राजनीतिक दल मतदाताओं को रिझाने में कोई कसर बाकी नहीं रखना चाह रहे हैं। खास बात ये है कि इस चुनाव में आधी आबादी यानि कि महिलाओं की भूमिका बेहद अहम होगी। महिला आरक्षण बिल पास होने के बाद हर कोई उसका श्रेय लेने को आतुर दिख रहा है।
छत्तीसगढ़ में पुरुष मतदाता से अधिक हैं महिला मतदाता
छत्तीसगढ़ में सरकार बनाने में महिलाओं की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है। इसका एक खास कारण है। वजह ये है कि छत्तीसगढ़ में महिला मतदाताओं की संख्या पुरुष मतदाताओं से अधिक है। छत्तीसगढ़ में 2.03 करोड़ कुल मतदाता हैं। इनमें से पुरुष मतदाताओं की संख्या 1.01 करोड़ है, जबकि महिला मतदाताओं की संख्या पुरुष से कहीं ज्यादा 1.02 करोड़ है।
25% से ज्यादा टिकट महिला उम्मीदवारों को दे सकती है कांग्रेस
छत्तीसगढ़ में सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी 25 फीसदी से अधिक महिलाओं को चुनावी मैदान में उतारने में जुट गई है। पार्टी सूत्रों माने तो कांग्रेस अपनी उम्मीदवारों की लिस्ट आज जारी कर सकती है। इस लिस्ट में इस बार 22 महिलाओं को टिकट दिए जाने की उम्मीद है। ये फैसला इस साल 33 प्रतिशत महिला आरक्षण बिल पारित होने के बाद लिया गया है।
पिछली बार से नौ ज्यादा महिला उम्मीदवार चुनावी समर में उतार सकती है कांग्रेस
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव-2018 में कांग्रेस ने 13 महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया था। इनमें से 10 महिला उम्मीदवार विधायक बनकर विधानसभा पहुंची थी। वहीं भाजपा ने 2018 के विधानसभा चुनाव में 14 महिलाओं को टिकट दिया था, लेकिन सिर्फ एक महिला उम्मीदवार ही चुनाव जीत सकी थी।
सभी 11 लोकसभा क्षेत्रों में होंगी दो-दो महिला उम्मीदवार
कांग्रेस प्रभारी कुमारी सैलजा ने संकेत दिए है कि छत्तीसगढ़ की सभी 11 लोकसभा क्षेत्रों में दो-दो महिला प्रत्याशियों को टिकट दिया जाएगा। उल्लेखनीय है कि भारतीय जनता पार्टी ने इस बार भी 14 महिलाओं को टिकट दिया है। कांग्रेस इस बार भाजपा की तुलना में करीब दोगुना महिला प्रत्याशियों को चुनावी मैदान में उतारने के मूड में है।
हर चुनाव में बढ़ती गई महिला उम्मीदवारों की संख्या
छत्तीसगढ़ के अलग राज्य बनने के बाद हर चुनाव में महिला उम्मीदवारों की संख्या बढ़ी है। विधानसभा चुनाव-2003 में 62 महिला प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतरी थी। वहीं विधानसभा चुनाव-2008 में यह संख्या बढ़कर 94 हो गई। पिछले चुनाव यानि कि विधानसभा चुनाव-2018 में राजनीतिक दलोंने 115 महिला प्रत्याशियों को टिकट दिया था। इस बार ये संख्या बढ़ कर 130 के आस-पास पहुंचने की पूरी संभावना है।
Author: Shahid Alam
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