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मंत्री सत्यानंद भोक्ता के बेटे को मिली नौकरी, सिविल कोर्ट में बने चपरासी

आजाद दर्पण डेस्क : भारतीय राजनीतिक संस्कृति में अगर किसी मंत्री का बेटा चपरासी की नौकरी करें तो ये बड़ी हैरानी वाली बात समझी जाएगी। हालांकि ये किसी भी मायने में गलत नहीं है। आम तौर पर कहा जाता है कि नेता के बेटे को, खास कर के स्थापित राजनेता का बेटा राजनीति में ही खुद को सुरक्षित महसूस करता है और राजनीति को ये अपना कैरियर बनाता है। लेकिन भारतीय राजनीति के इस मिथक को झारखंड के कद्दावर मंत्री के बेटे ने तोड़ दिया है। अब आपको झारखंड के कद्दावर मंत्री का बेटा चपरासी की नौकरी करता हुआ दिखाई देगा। शायद मंत्री के बेटे का ये कदम आपको कुछ अटपटा लगे, लेकिन समाज के लिए एक बड़ा संदेश भी होगा कि कोई भी काम या पद छोटा बड़ा नहीं होता।  बस किसी भी काम या पद में यह बात मायने रखती है कि आप उस पद अथवा काम की जिम्मेदारी को कैसे निभाते हैं।

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कौन हैं मंत्री, जिनका बेटा करेगा चपरासी की नौकरी

झारखंड के श्रम मंत्री तथा चतरा से राजद विधायक सत्यानंद भोक्ता वह मंत्री हैं जिनके बेटे ने अपने पिता की राजनीतिक विरासत को संभालने के बजाय अपना खुद का अलग रास्ता चुना है, जो समाज के लिए सुखद संदेश है। मंत्री सत्यानंद भोक्ता के बेटे मुकेश भोक्ता का चयन चपरासी पद के लिए हुआ है। उसे चतरा कोर्ट में नौकरी मिली है। झारखंड के इतिहास में ऐसा पहली बार होगा कि लोग एक मंत्री कि बेटे को चपरासी की नौकरी करते हुए देखेंगे।

जानें क्या है पूरा मामला

चतरा के प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश की ओर से आदेश संख्या 26/2023 के तहत कोर्ट के लिए चपरासी, ट्रेजरी मेसेंजर, दफ्तरी, ड्राइवर व नाइट गार्ड पद के लिए विज्ञापन संख्या 01/2023 निकाला गया था। चपरासी के लिए कुल 13 पद थे, जिसके लिए इन्हें कई लोगों ने साक्षात्कार दिया था। शुक्रवार को सफल अभ्यर्थियों की सूची जारी कर दी गई। साक्षात्कार के बाद मंत्री सत्यानंद भोक्ता के बेटे मुकेश भोक्ता का भी चयन एसटी कोटे से चपरासी के पद पर हुआ है। उल्लेखनीय है कि हाल में ही केंद्र सरकार ने भोक्ता जाति को एससी से निकालकर एसटी कोटे में की सूची में डाला था, जिसपर मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने विरोध भी जताया था। गौर करने वाली बात यह है कि चपरासी के लिए चयनित अभ्यर्थियों की सूची के अलावा एक वेटिंग लिस्ट भी जारी किया गया है। इस वेटिंग लिस्ट में मंत्री के भतीजे रामदेव भोक्ता का नाम भी शामिल है। लेकिन उन्हें तभी ज्वाइनिंग दी जाएगी, जब कोई सफल अभ्यर्थी ज्वॉइन नहीं करेगा। मंत्री के बेटे के चपरासी की नौकरी कर मिलने की चर्चा पूरे क्षेत्र में ज़ोर शोर से चल रही है। लेकिन कोई कुछ भी कहे, मंत्री के बेटे के इस निर्णय से नई परिपाटी की शुरुआत होगी और किसी काम को छोटा-बड़ा समझने की अवधारणा शायद कम भी होगी।

Shahid Alam
Author: Shahid Alam

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