Home » झारखंड » पलामू » पलामू : विराट शिव गुरु महोत्सव का आयोजन, श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़

पलामू : विराट शिव गुरु महोत्सव का आयोजन, श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़

गौरी शंकर सिंह, छत्तरपुर : पलामू जिले के छत्तरपुर प्रखंड के बारा गांव स्थित राजेंद्र नगर मैदान में शिव शिष्य हरिंद्रानंद फाउंडेशन के तत्वाधान में सोमवार को आयोजित शिव गुरु महोत्सव में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। कार्यक्रम के आयोजन का उद्देश्य महेश्वर शिव के गुरु स्वरूप से एक-एक व्यक्ति का शिष्य के रूप में जुड़ाव कराने को लेकर किया गया। आयोजन में शामिल होने के लिए शिव शिष्यों का जनसैलाब उमड़ पड़ा। महोत्सव का शुभारंभ हर-हर भोला जागरण धुन के साथ हुआ। शिव शिष्यों ने भी भगवान शिव के गुरु स्वरूप की चर्चा की। वहीं कई गुरुभाइयों ने शिव चर्चा व भजन सुनाकर श्रद्धालुओं को मंत्र मुग्ध कर दिया।

शिव केवल नाम के नहीं अपितु काम के गुरु हैं : दीदी बरखा आनंद

शिव शिष्य साहब हरिंद्रानंद जी के संदेश को लेकर आई कार्यक्रम की मुख्य वक्ता दीदी बरखा आनंद ने विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि शिव केवल नाम के नहीं अपितु काम के गुरु हैं। शिव के औढरदानी स्वरूप से धन, धान्य, संतान, संपदा आदि प्राप्त करने का व्यापक प्रचलन है तो उनके गुरु स्वरूप से ज्ञान भी क्यों नहीं प्राप्त किया जाए। किसी संपति या संपदा का उपयोग ज्ञान के अभाव में घातक हो सकता है। दीदी बरखा आनंद ने कहा कि शिव जगतगुरु हैं अतएव जगत का एक-एक व्यक्ति चाहे वह किसी धर्म, जाति, संप्रदाय, लिंग का हो शिव को अपना गुरु बना सकता है। शिव का शिष्य होने के लिए किसी पारंपरिक औपचारिकता या दीक्षा की जरूरत नहीं है। जरूरी है केवल यह विचार का स्थाई होना कि शिव मेरे गुरु हैं। शिव की शिष्यता की स्वमेव शुरुआत करता हूं, हमको आपको शिव शिष्य बनाता है। उन्होंने अपनी वाणी में कहा कि शिव शिष्य साहब हरिंद्रानंद ने 1974 में शिव को अपना गुरु माना। हरिंद्रानंद और उनकी धर्मपत्नी दीदी नीलम आनंद के द्वारा जाति, धर्म, लिंग, वर्ण, संप्रदाय आदि से परे मानव मात्र को भगवान शिव के गुरु स्वरूप से जुड़ने का आह्वान किया गया। 1980 के दशक आते-आते शिव की शिष्यता की अवधारणा भारत भूखंड के विभिन्न स्थानों पर व्यापक तौर पर फैलती चली गई। भैया अर्चित आनंद ने कहा कि हमारे साधुओं, शास्त्रों और मनीषियों द्वारा महेश्वर शिव को आदिगुरु, परमगुरु आदि विभिन्न उपाधियों से विभूषित किया गया है। शिव का शिष्य होने में मात्र तीन सूत्र ही सहायक हैं। पहला सूत्र-अपने गुरु शिव से मन ही मन यह कहें कि “हे शिव आप मेरे गुरु हैं, मैं आपका शिष्य हूं, मुझ शिष्य पर दया कीजिए। दूसरा सूत्र – सबको सुनाना और समझाना है कि शिव गुरु हैं ताकि दूसरे लोग भी शिव को अपना गुरु बनाएं। तीसरा सूत्र – अपने गुरु शिव को मन ही मन प्रणाम करना है। इच्छा हो तो नमः शिवाय मंत्र से प्रणाम किया जा सकता है। इन तीन सूत्रों के अलावा किसी भी अंधविश्वास या आडंबर का कोई स्थान नहीं है। रांची से आए शिवकुमार विश्वकर्मा व सोमेंद्र कुमार झा ने भी श्रद्धालुओं को शिव गुरु की महत्ता से अवगत कराया। कार्यक्रम के समापन पर आयोजन समिति के उपाध्यक्ष सह भाजपा मंडल अध्यक्ष, लठेया प्रयाग विश्वकर्मा ने अतिथियों एवं दूरदराज से आए शिव शिष्य भाई बहनों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम को सफल बनाने आयोजन समिति के सुरेंद्र तिवारी, चंद्रदेव पासवान, सुदामा चंद्रवंशी, रमेश चौरसिया, आलोक सिंह सहित अन्य सदस्यों का सक्रिय सहयोग रहा।

Shahid Alam
Author: Shahid Alam

Editor

0
0

RELATED LATEST NEWS

Top Headlines

पांकी में तरावीह की नमाज मुकम्मल, जश्ने मिलाद में बताया गया रमजान व कुरआन की फ़ज़ीलत

पलामू डेस्क : पांकी प्रखंड मुख्यालय के मस्जिद चौक स्थित अहले सुन्नत जामा मस्जिद में तरावीह की नमाज मुकम्मल हुई।

error: Content is protected !!