आज़ाद दर्पण डेस्क : देश का पुराना संसद भवन 19 सितम्बर को इतिहास के पन्ने में दर्ज हो गया। पुराने संसद भवन के सेंट्रल हॉल में समारोह के उपरांत संसद का कामकाज नवनिर्मित भवन में शिफ्ट हो गया। नये भवन को लोकसभा सचिवालय ने 18 सितम्बर को ही भारत के संसद के रूप में अधिसूचित कर दिया था। शिफ्ट होने के पहले सभी सांसदों ने घूराने भवन के पास फोटो सेशन भी कराया । सबसे पहले दोनों सदनों के सांसदों ने अलग-अलग फोटो शूट कराया। फिर दोनों सदनों के सभी सांसदों ने एकसाथ फोटो शूट कराया।
शिफ्ट होने से पूर्व ऐतिहासिक सेंट्रल हॉल में समारोह का आयोजन
नये भवन में संसद के शिफ्ट होने से पहले पुराने भवन के ऐतिहासिक सेंट्रल हॉल में समारोह का आयोजन किया गया। सेंट्रल हॉल में पीएम नरेन्द्र मोदी ने सांसदों से मुलाकात कर उनका अभिवान स्वीकार किया। राष्ट्रगान से समारोह की शुरूआत की गई। समारोह को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला, राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खडगे, राज्यसभा के नेता सदन पियुश गोयल, लोकसभा में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी, संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी तथा सांसद मेनका गांधी ने संबोधित किया।
संविधान सदन के नाम से जाना जाएगा पुराना संसद भवन
समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि पुराना संसद भवन कई बड़े फैसलों का गवाह रहा है। इसे आर्टिकल 370, जीएसटी, तीन तलाक जैसे फैसलों के लिए भी याद किया जायेगा। उन्होंने अपने भाषण के दौरान शाह बानो केस का भी जिक्र किया। पीएम ने कहा कि हमें आगे बढ़ना है तो अपनी सोच के कैनवास को बड़ा करना होगा आनेवाले समय में निश्चित रूप से भारत विश्व की टॉप-थ्री महाशक्तियों में शामिल होगा। प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि पुराने संसद भवन का ऐतिहासिक और अविस्मरणीय महत्व है। ऐसे में इसकी अनदेखी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने पुराने संसद भवन का नाम सविधान सदन रखा।
जिम्मेवारी बढ़ गई है : स्पीकर
प्रधानमंत्री के पूर्व लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने भी अपना संबोधन दिया। उन्होंने कहा कि आज का दिन ऐतिहासिक है। यहां से हमारी भावनाएं जुड़ी हुई हैं। हमने यहां से 75 सालों में कई क्रांतिकारी बदलाव किये है। नये भवन में शिफ्ट होने से हमारी जिम्मेवारी और भी बढ़ गई है। हमारा कर्तव्य है कि हम अपनी जिम्मेवारियों को अच्छे से निभाएं और देशवासियों के जीवन में सुधार लाने का हरसंभव प्रयास करें।
खड़गे ने प्रथम राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री के साथ पटेल व डॉ अंबेडकर को याद किया
समारोह को संबोधित करते हुए राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद, प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल, सविधान निर्माता डॉ भीमराव अम्बेडकर, डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णण को भी याद किया उनके कार्य को सराहा। उन्होंने कहा कि हम प्रधानमंत्री के अभारी है, जिन्होंने कल अपने भाषण में नेहरू जी के प्रयासों का उल्लेख किया था।
गणेश चतुर्थी के दिन काम काज नए भवन में शिफ्ट
समारोह के अंत में उपराष्ट्रपति के संबोधन के बाद प्रधानमंत्री समेत सभी लोग नये भवन के निकले। नये संसद भवन में आज से कामकाज शुरू हो गया। ये सुखद संयोग है कि आज गणेश चतुर्थी भी है। दोपहर 1:15 बजे लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने नये संसद भवन में कारवाई को राष्ट्रगान से शुरू किया। कारवाई शुरू करते हुए उन्होंने कहा कि मैं सौभाग्यशाली हूं कि मुझे नये व पुराने दोनों भवनों में काम करने का अवसर प्राप्त हुआ।
यतो भावो, तत् भवति : प्रधानमंत्री
स्पीकर ने नये संसद भवन की कारवाई के रूप में सबसे पहले उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अपना संबोधन देने के लिए आमंत्रित किया। प्रधानमंत्री ने संसद को संबोधित करते हुए कहा कि यत भावो, तत् भवति यानि कि हमारा भाव जैसा होता है, वैसा ही कुछ घटित होता है। उन्होंने कहा कि भवन बदला है तो भाव और भावनाएं भी बदलनी चाहिए। संसद राष्ट्रहित के लिए कार्य करने का स्थान होता है, न कि दल हित के लिए। पीएम ने कहा कि संसदीय लोकतंत्र में यह हम सबका नया गृह प्रवेश है। यहां वो पवित्र संगोल भी रखा हुआ है, जिसको देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू जी का स्पर्श हुआ था।
Author: Shahid Alam
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