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कई महीनों से बंद है पूरे गांव का रास्ता, ग्रामीणों ने हर कार्यालय का काटा चक्कर, अब तक कोई सुनवाई नहीं

जानकारी देते जोलहबिगहा के ग्रामीण

आज़ाद दर्पण डेस्क : हमारा कोई सुनता नहीं। हम कार्यालय के चक्कर लगाकर थक गए हैं। छोटे से लेकर बड़े स्तर तक के पदाधिकारी का चक्कर लगाया, पर सुनवाई नहीं हुई। ये सब बातें पलामू जिले के पांकी प्रखंड के जोलहबिगहा गांव के ग्रामीणों का कहना है। अब ये सब बातें वे क्यों कह रहे हैं, आगे पूरी खबर में आइए जानते हैं।

क्या है पूरा मामला

पांकी प्रखंड का क्षेत्र काफी बड़ा है। प्रखंड के केकरगढ़ पंचायत में एक गांव है जोलहबिगहा। सारा मामला इसी गांव से जुड़ा हुआ है। इस गांव की कूल आबादी करीब 1000 है। इस गांव में करीब सौ घरों की बसावट है। 95% आबादी मुस्लिम समाज के लोगों की है। अब पूरा मामला इसी गांव के रास्ते को लेकर है। इस गांव तक पहुंचने के लिए अभी कोई रोड नहीं है। सैंकड़ों सालों से यहां के लोग जिस रास्ते का प्रयोग आने जाने के लिए करते थे, उसे रैयती बताकर दो साल पहले बंद कर दिया गया। वर्तमान में ग्रामीण खेत की मेड़ से होकर गांव तक जा रहे हैं। इनकी परेशानियों का अंदाजा आप और हम इस बात से लगा सकते हैं कि इस गांव में जब आज मय्यत (मृत्यु) हो गई तो मेन रोड के किनारे स्थित कब्रिस्तान में जनाजा को ले जाने में इनको काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। लोग धान लगे खेतों से होकर जनाजे को कब्रिस्तान तक ले कर गए। इस पूरे मामले पर बताते हुए ग्रामीण इंताफ अंसारी ने कहा कि हमारे पूर्वज सैकड़ों साल से जिस रास्ते से होके गांव आते जाते थे, उसे द्वारिका के कुछ लोगों ने रैयती जमीन बताकर जोत दिया और उसमें फसल लगा दिया। ऐसे में गांव से मेन रोड की कनेक्टिविटी समाप्त हो गई। अब हमें गांव से निकलने के लिए खेत की मेढ़ का सहारा लेना पड़ता है।

एसडीओ का आदेश

 

हर कार्यालय का चक्कर लगा चुके हैं ग्रामीण

ग्रामीण अजमेर अंसारी, सहीम अंसारी, समुद्दीन अंसारी आदि ने बताया कि जब हमारा रास्ता रोका गया था तो हमने छोटे से लेकर बड़े पदाधिकारी तक रास्ता खुलवाने की गुहार लगाई थी। परंतु हमारी किसी ने नहीं सुनी। ग्रामीणों ने बताया कि इस वर्ष मोहर्रम के समय हमने अपने रास्ते की समस्या को पांकी थाना में आयोजित शांति समिति की बैठक में भी रखा था, जहां तत्कालीन सीओ निर्भय कुमार ने आश्वस्त किया था की कुछ दिनों में रास्ते की समस्या को सुलझा दिया जाएगा और रास्ता निकाल दिया जाएगा। लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ। सर्वे की गैरमजरुआ भूमि भी है। परंतु उस पर भी द्वारिका के कुछ लोगों का कब्जा है।

अंचल अमीन का प्रतिवेदन का हिस्सा

 

गैरमजरुआ भूमि से रास्ता निकालने का काम ठंडे बस्ते में

ग्रामीणों के आरोप के अनुसार, जिस रास्ते से गांव के लोग आना-जाना करते थे, उसे द्वारिका के कुछ लोग रैयती भूमि बताकर उसमें खेती करने लगे हैं। तब ग्रामीणों ने उस रैयती भूमि के बगल में स्थित सर्वे के गैरमजरुआ भूमि से रास्ता निकालने की मांग विभिन्न पदाधिकारियों से की। ग्रामीणों ने इसके लिए पांकी के अंचलाधिकारी तथा सदर अनुमंडल पदाधिकारी को आवेदन देकर रास्ता को कब्जामुक्त कराने और उसमें डिमार्केशन कराने की गुहार लगाई थी। लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हुई। ग्रामीणों की गुहार के बाद एसडीओ ने अंचलाधिकारी को पत्र जारी कर उक्त गैरमजरुआ भूमि का जांच प्रतिवेदन मांगा था। एसडीओ ने पत्र के बाद अंचलाधिकारी ने अंचल निरीक्षक व अमीन को उक्त गैरमजरुआ भूमि की नापी करने वह जांच प्रतिवेदन सौंपने को कहा था। अंचल अमीन स्थल पर नापी के लिए गए और कब्जाधारियों से कागजात की भी मांग की। अंचल अमीन ने अपने लिखित प्रतिवेदन में कहा है कि कब्जाधारियों ने किसी तरह का कोई कागजात नहीं दिखाया। जिसके बाद इस प्लॉट से रास्ते को निकाला जा सकता है। इस रिपोर्ट के बाद पूरा मामला ठंडे बस्ते में है। यही कारण है कि ग्रामीण आरोप लगा रहे हैं कि हमारी सुनवाई नहीं हो रही है

अंचल अमीन द्वारा प्रतिवेदित नक्शा

 

चुनावी वादा बन कर रह गया मुखिया का आश्वासन 

ग्रामीणों ने बताया कि पंचायत चुनाव के वक्त मुखिया प्रत्याशी सत्यभामा देवी व उसके पति विनोद यादव ने आश्वस्त किया था कि यदि गांव अगर एकजुट होकर हमारे पक्ष में मतदान करेगा तो हम कोशिश करेंगे कि रैयती प्लॉट से ही  रास्ता निकलवा दें। अगर रैयती प्लॉट से रास्ता नहीं निकलवा पाए तो गैरमजरुआ भूमि से हर-हाल में रोड निकलवा देंगे। ग्रामीण बताते हैं कि हमने रोड निकलने की उम्मीद में एकमुश्त होकर सत्यभामा देवी के पक्ष में मतदान किया। लेकिन अब तक रास्ता नहीं निकाला गया। 

क्या कहना है मुखिया का 

इस संबंध में मुखिया से बात करने की कोशिश की गई। परंतु उनके पति विनोद यादव से बात हुई। मुखिया सत्यभामा देवी के पति ने कहा कि जोलहबिगहा गांव ने निश्चित रूप से चुनाव में मदद किया है। मुझे ही नहीं, बल्कि जब मेरे दादा व मां मुखिया बने, तब भी जोलहबिगहा ने एकजुट होकर हमें मदद किया। जोलहबिगहा हमारे हृदय में है। वहां की परेशानी, मेरी परेशानी है। जहां तक रास्ता का मामला है, उसमें कुछ तकनिकी मामला है। हम उस मामले को सुलझा कर जोलहबिगहा गांव का रास्ता हर हाल में निकलेंगे।

Shahid Alam
Author: Shahid Alam

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